सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संत जैसा जीवन जीना चाहिए तथा पूरी मेहनत से काम करना चाहिए। साथ ही उन्हें इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल से बचना चाहिए। यही नहीं, शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जजों को निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए।
न्यायपालिका में दिखावेपन के लिए कोई स्थान नहीं
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की। पीठ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावेपन के लिए कोई स्थान नहीं है।बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या जज को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए। यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जोकि न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतें पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई।